राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व के अंतर्गत अनुसूची ‘बी’ की एक मिनीरत्न श्रेणी-I कंपनी है। एनएससी की स्थापना आधारीय तथा प्रमाणित बीजों के उत्पादन के लिए वर्ष 1963 में हुई। वर्तमान में यह अपने फार्मों एवं पंजीकृत बीज उत्पादकों के माध्यम से लगभग 78 फसलों की 567 किस्मों के प्रमाणित बीजों का उत्पादन कर रही है जिसमें मोटे अनाज, दलहन, तिलहन, चारा, रेशा, हरी खाद एवं सब्जियां शामिल है। देश भर में इसके 5 फार्म और लगभग 11,603 पंजीकृत बीज उत्पादक है, जो विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों में बीज उत्पादन का कार्य कर रहे हैं। निगम का वित्त वर्ष 2021-22 का कारोबार रू. 915.72 करोड़ का था ।
निगम के पूरे देश भर में 11 क्षेत्रीय कार्यालय, 22000 हैक्टे यर क्षेत्रों में फैले हुए 05 फार्म तथा 48 प्रक्षेत्र कार्यालय, 30 बीज उत्पादन केंद्र, 107 बीज विपणन केन्द्र, 76 बीज संस्करण संयंत्र, 07 वातानुकूलित बीज भंडारण सुविधाएँ, 02 सब्जी बीज पैकिंग केन्द्र एवं 01 DNA फिंगर प्रिंटिंग प्रयोगशाला हैं। बीज उत्पादन में अधिक जोर तिलहनों, दलहनों, संकर प्रजातियों और सब्जियों के बीजों के उत्पादन पर दिया जाता है। बीजों की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए आंतरिक गुणवत्ता जांचो के माध्यम से सख्ती से गुणवत्ता नियंत्रण को लागू किया जाता है। एनएससी ने नई दिल्ली, सिकंदराबाद, भोपाल एवं सूरतगढ़ में चार गुण नियंत्रण प्रयोगशालाऐं स्थापित की हैं, जो बीज की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए बीज परीक्षण का कार्य करती हैं। एनएससी गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन और वितरण के अतिरिक्त केले इत्यादि की ऊतक खेती द्वारा तैयार किए गए पौध का उत्पादन भी करता है। एनएससी अपने फार्मों से फलों के पौध/बीज पौध उत्पाीदन का कार्य भी करती है। बीजों के विपणन का कार्य विभिन्नध स्तीर से जैसे डीलरों/वितरकों (राज्य सरकारों तथा भारत सरकार) किसान मेलों के माध्यफम से तथा अपने स्वयं के बीज बिक्री केन्द्रों के माध्यम से करता है। निगम के लगभग ३३०१ बीज विक्रेता हैं, जोकि कुल बिक्री कारोबार के 50 प्रतिशत से अधिक की बिक्री करते हैं।
विविधीकरण के क्षेत्र में राबीनि ने अपने सूरतगढ, (राजस्थाेन) और रायचूर (कर्नाटक) फार्मों पर मछली बीज उत्पाकदन शुरू किया है। एनएससी ने अपने रायचूर फार्म में चारा ब्लॉ क बनाने की इकाई भी स्थापित की है, जो गुणवत्ताे वाले चारे के लिए फसल अवशेषों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करेगी।
एनएससी ने अपने फार्मों पर सूक्ष्मक सिंचाई पद्धति, जल संरक्षण, फार्म मशीनीकरण, थ्रेशिंग फ्लोर, बीज प्रसंस्कनरण संयंत्र और बीज भंडारण गोदामों पर विभिन्न बुनियादी सुविधाओं का विकस किया है। ... एनएससी ने अपने क्षेत्रीय/प्रक्षेत्र कार्यालयों में प्रासंगिक स्थायनों पर बीज प्रसंस्कणरण संयंत्रों और बीज भंडारण गोदामों की बुनियादी सुविधाओं को भी विकसित किया है। ये सभी बुनियादी ढांचे गुणवत्ता बीज के उत्पाोदन में मदद करेंगे।
राष्ट्रीय बीज निगम, भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे तिहलनों एवं तेल पाम पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमओओपी), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) एवं बागवानी के विकास हेतु मिशन (एमआईडीएच) के लिए एकीकृत योजना के कार्यान्वयन में मुख्य भूमिका निभाती है। यह बीज पैदा करने वाली ऐजेंसियों जिनमें राज्य बीज निगम भी शामिल है, के बीज उत्पादन में लगे कार्मिकों को प्रशिक्षण देकर तकनीकी सहायता भी प्रदान करती है। विभिन्न राज्यों के निजी क्षेत्रों में बीज संसाधन संयंत्र तथा भंडारण के लिए गोदामों के निर्माण द्वारा आधारभूत सुविधाओ के निर्माण हेतु केन्द्रीय सैक्टर योजना को लागू करने के लिए एनएससी एक नोडेल ऐजेंसी है। एनएससी पूरे विश्वा में, विशेषकर सार्क देशों एवं अफ्रीकी देशों को बीजों का निर्यात भी करता है। भारत सरकार के अनुदान से निगम द्वारा बनाये गए सार्क बीज बैंक में विभिन्न फसलों /किस्मों के भारी मात्रा में बीज रखे गए हैं जिनका उपयोग राष्ट्रीय आपदा जैसे बाढ़, सूखा इत्यादि के समय पैदा होने वाली बीजों की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। एनएससी देश के दूर-दराज के आंतरिक क्षेत्रों जैसे उत्तर पूर्वी राज्यों एवं अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों के लिए भी गुणवत्ता-वाले बीजों की मांग का भी पूरा ध्यान रखता है।
वर्ष 1974 में राष्ट्री य बीज परियोजना (एनएसपी) के आंरभ होने के साथ ही एनएससी को देश में सुदृढ़ आधार पर बीज उद्योग के विकास में मुख्यज नेतृत्वस सभांलने की भूमिका सौंपी गई थी। एनएससी ने सन सत्तजर के दौरान राष्ट्री य बीज परियोजना के अंतर्गत विभिन्न राज्यस बीज निगमो की स्थासपना में भी पूरा सहयोग दिया।